उच्च रक्तचाप एक सामान्य समस्या होती है जो कि यह निरंतर दृश्य होती है। इस बीमारी के उपसर्ग कुछ होते हैं जैसे – चक्कर आना, सिरदर्द, छाती दुखना इत्यादि। अधिक रक्तचाप की समस्या के कारण एक या अधिक बीमारियां हो सकती हैं, जो इस लेख में बताए गए हैं।
उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों में हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। अधिक रक्तचाप होने में, हृदय को अधिक कस्ट में डालना पड़ता है, जिससे सेहत का प्रबंध संभवतः प्रभावित हो सकता है। उच्च रक्तचाप से जुड़ी हर बीमारी के लिए, उपचार के लिए समय बचाना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
बार-बार हाइ प्रेशर से अधिक कारणों से संबंधित सही जानकारी जानना अधिकतर लोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है। हाइ प्रेशर इतनी देर तक रहने से एक मौजूदा समस्या और बढ़ जाती है वह भी अधिकतर लोग नहीं जानते हैं। अतः, मनुष्य इस बात से पूरी तरह सचेत होना चाहिए और समय रहते इस बीमारी के उपर ध्यान देना चाहिए।
उच्च रक्तचाप से हो सकती हैं ये बीमारियां
हृदय रोग: उच्च रक्तचाप व्यक्ति को हृदय रोग के लिए संभावित बनाता है। शरीर के जोड़ों में दरारें हो जाती हैं जो हृदय के नलिकाओं को बंद कर देती हैं जिससे उच्च-रक्तचाप व्यक्ति को दिल संबंधी समस्याएँ होने का खतरा बढ़ जाता है।
अधिमानविटिस: उच्च रक्तचाप अधिमानविटिस (हाइपरटेंशन का विकराल रूप है) के लक्षणों, जैसे शारीरिक तंगी, माथे के ऊपर के दर्द, पेट में तकलीफ, चक्कर आने लगते हैं।
- डायबिटीज: डायबिटीज एक और बीमारी होती है जो उच्च रक्तचाप के कारण व्यक्ति के शरीर में होने की संभावना होती है। यह रक्तमें शुगर के स्तरों में वृद्धि करती है जो यह बताते हैं कि शरीर का खूबसूरत मेहनत वृद्धि कर रहा है।
- शरीरिक रक्त को मधुमेह से पीड़ित करना: मधुमेह व्यक्ति के शरीर के लिए हानिकारक होता है और अगर उच्च रक्तचाप व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है तो शरीर के रक्त को मधुमेह से अधिक प्रभावित करने की संभावना होती है।
मस्तिष्ककी बीमारियां
एपिलेप्सी: एक व्यक्ति के मस्तिष्क में अनियंत्रित विद्युत चार्ज उत्पन्न होने के कारण एपिलेप्सी होती है। इससे व्यक्ति को आक्रामक रोग के सुदृढ़ लक्षणों के साथ-साथ नींद की दीर्घकालिकता, मनोविज्ञानी विकार और अरुचि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अल्जाइमर का रोग: मस्तिष्क में समय-समय पर स्मृति समस्याएं होने के कारण अल्जाइमर रोग होता है। यह एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे व्यक्ति के दिमाग को उनके सामने के अवसरों से दूर ले जाती है और उनकी स्मृति, संवेदना और विचारशक्ति में कमी लाती है।
डिप्रेशन: मस्तिष्क में संतुलन और विचारशक्ति के असंतुलन के कारण डिप्रेशन होता है। इससे व्यक्ति को उदासी, सुस्ती, नींद की कमी, उतार-चढ़ाव, भूख न लगना, शरीर में दर्द और चिंताएं होती हैं।
- मिग्रेन: मस्तिष्क में दर्द के कारण मिग्रेन होती है। इससे व्यक्ति को अच्छी तरह से नहीं सोने की समस्या होती है, और वह उन समयों में सतर्क रहता है, जब वह व्यक्तिगत जीवन से जुड़े काम कर रहा होता है।
- स्किजोफ्रेनिया: मस्तिष्क में संसाधान, विचार और परिवर्तन के असंतुलन के कारण स्किजोफ्रेनिया होती है। व्यक्ति को उनकी सही ध्यान देने की क्षमता खत्म हो जाती है और उनके संज्ञान द्वारा सामाजिक रूप से एकीकृत होना बाधित होता है।
हृदय से संबंधित बीमारियां
हृदय रोग एक ऐसी बीमारी है जो हमारे दिल को प्रभावित करती है। इस बीमारी में दिल के अवांछित समस्याएं जैसे कि मोटापा, बुरी आदतें और बदलती जीवनशैली इसे और भी खराब कर सकती हैं। हृदय रोग कई तरह के होते हैं जिनमें से कुछ जानलेवा होते हैं।
धमनी का रोग हृदय से संबंधित दुसरी बीमारी है जो आपके धमनियों में संकट होने के कारण आती है। इसके लक्षण में चेस्ट दर्द, सांस लेने में कठिनाई और संकट हो सकते हैं। धमनी संबंधित बीमारियों में प्रमुख मसला प्रोटेइन की मात्रा का होना होता है।
गंभीर हृदय संबंधित बीमारियों में एक है जो सीधे हृदय के तकाजे पर प्रभावित होती है। यह समस्या हृदय के दीवार पर इन्फेक्शन या संक्रमण आने पर उत्पन्न होती है। यदि आपको हृदय में अधिक दर्द हो रहा है तो आप तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।
- हृदय रोग
- धमनी से संबंधित बीमारियां
- गंभीर हृदय संबंधित बीमारियां
बीमारी | लक्षण |
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हृदय रोग | ढीलापन, दबाव महसूस करना, थकान, सांस लेने में कठिनाई |
धमनी संबंधित बीमारियां | चेस्ट दर्द, सांस लेने में कठिनाई, थकान |
गंभीर हृदय संबंधित बीमारियां | ज्वर, स्किन रैश, अधिक दर्द |
श्वसन संबंधी बीमारियां
अस्थमा: अस्थमा श्वसन संबंधी एक बीमारी है जो धूल, धुंध, धुआं और अन्य अधिक प्रदूषण वाली वातावरणों या विशेष जैविक पदार्थों से प्रभावित होती है। इस बीमारी में बाहरी वातावरणीय कणों द्वारा श्वसन मार्ग में उद्दंडता या फेफड़ों में सूजन हो जाती है। अस्थमा से पीड़ित लोगों को हमेशा अपनी दवाओं के साथ रहना चाहिए और धूल और धुआं के साथ संपर्क से बचना चाहिए।
कॉप्ड: कॉप्ड श्वसन का प्रभावित करने वाली एक गंभीर बीमारी है जो ज्यादातर स्मोकिंग के कारण होती है। यह बीमारी हाथ-पैर अंगों के नीचे स्थित छोटी सी क्रिया शक्ति वाली हड्डियों में से निकलने वाली खांसी और सांस लेने में बेचैनी के साथ जुड़ी हुई होती है। कॉप्ड से पीड़ित लोगों को तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
अल्सी संबंधी रोग : अल्सी संबंधी रोग आमतौर पर एक उम्रदराज बीमारी है जो हाइवरजेनिक (अत्यधिक रक्तचाप) के कारण विकसित होती है। इस बीमारी में श्वसन में तकलीफ होती है जो उन्नत चरण में बीमार एक व्यक्ति के लिए घातक हो सकती है। उन्नत चरण में, उन्हें रात के समय छोटे छोटे होठों से सांस लेने में कठिनाई होती है जो उन्हें रात में नींद से जगाता है। अल्सी संबंधी रोग से जूझते लोगों को अपनी दवाओं के साथ संपर्क में रहना चाहिए।
थायरॉइड से संबंधित बीमारियां
हाइपोथायरॉइडिज़्म: यह थायरॉइड से संबंधित सबसे आम बीमारी है, जो थायरॉइड हार्मोन की बहुत कम मात्रा के साथ जुड़ी होती है। इससे शारीर की कई प्रक्रियाओं में कमी आती है और लक्षण में शामिल होते हैं: थकान, भारीपन, कमजोरी, मतली और कब्ज।
हाइपरथायरॉइडिज़्म: इस बीमारी में, थायरॉइड हार्मोन की अधिक मात्रा होती है, जो शारीर के बहुत सारे प्रक्रियाओं को तेज करती है। लक्षण में शामिल होते हैं: अत्यधिक थकान, उन्माद, दाढ़ी न आना, हृदय के तेज धड़कन, रात में पसीना और वजन घटना।
थायरॉइड कैंसर: यह थायरॉइड के किसी भी हिस्से में विकसित होने वाली जानलेवा बीमारी है। इसके लक्षण शामिल होंगे: गले में सुषिरता, गांठ, जो फुलकर बड़ी हो सकती है और स्वल्प दर्द।
तालु संबंधित ठंड: थायरॉइड थोड़े देर के लिए ठंडे हो जाने वाली बीमारी के कुछ लक्षण होते हैं, जो अधिकतर युवा महिलाओं को प्रभावित करते हैं। लक्षण में शामिल होते हैं: हाथों और टांगों में शीतलता, चंगुल महसूस होना और डॉक्टर द्वारा तालु क्षतिग्रस्त कार्य के निवेश करना।
दोस्त बीमारियों के साथ संबंधित बीमारियाँ: कुछ छोटे रोग थायरॉइड विकारों से जुड़े हो सकते हैं, जैसे कि हृदय रोग, मधुमेह, हाइपरटेंशन और शरीर की तंदुरुस्ती के लिए फिट रहने वाले एक स्वस्थ आहार पंजीकरण कैसे करें।
किडनी से संबंधित बीमारियां
उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप, किडनी में रक्त का दबाव बढ़ाता है जो कि नुकसानकारक होता है और लंबे समय तक अपशिष्ट खाद्य पदार्थों, एल्कोहल या अन्य विषारोपण से ग्रसित करता है। यह बीमारी किडनी के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है जो हानिकारक छोटे से से लेकर लम्बे समय तक किडनी में चोट पहुंचाती है।
मूत्रमार्ग संक्रमण: मूत्रमार्ग संक्रमण भी किडनी से संबंधित बीमारी होती है जो मूत्र रुक-रुक कर आने, मूत्रमार्ग में दर्द या जलन, जुकाम या खांसी जैसे लक्षणों द्वारा पहचानी जा सकती है। किडनी के मूत्रमार्ग अंदरूनी सतह पर परफेक्ट काढ़ी ज्यादातर संक्रमण से उत्पन्न होती है।
गुर्दे की पथरी: गुर्दे की पथरी भी किडनी से संबंधित बीमारी के रूप में मानी जाती है। किसी को गुर्दे की पथरी हो तो उसे कभी भी गुर्दे की वजह से दर्द, मूत्र रुक-रुक कर आना या पेशाब में जलन हो सकती है। इस बीमारी के लक्षण पहचानना मुश्किल हो सकता है। महिलाओं में लगभग 10% से 20% किडनी संबंधित उतपाद पथरी होती है।
- किडनी की एफआईजी समस्याएं
- औषधि प्रतिक्रिया या अहितकारक प्रतिक्रिया
- किडनी में संक्रमण
- किडनी में अंकुरण
कुछ अन्य बीमारियां: कई और किडनी से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं जैसे कि किडनी की एफआईजी समस्याएं, औषधि प्रतिक्रिया या अहितकारक प्रतिक्रिया और रक्त में मौजूदे संक्रमण से जुड़ी हुई कुछ बीमारियां।
आँख के बीमारियां
1. क्याति
क्याति एक आँख की बीमारी है जो आँख के बाहरी भाग में होती है। इसमें आँख के पुराने कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं जिससे आँख की लकड़ी की स्पंजी दही की तरह फूल जाती है। इससे आँख का शरीर कम दिखता है जो अत्यंत खतरनाक हो सकता है।
2. फुले हुए नस
यह आँख की बहुत ही सामान्य बीमारी है जिसमें आँख का अंदरी भाग फूल जाता है। इससे आँख में लालिमा होती है और आँख की पलकें फड़फड़ाने लगती हैं।
3. नेत्रदाह
नेत्रदाह आँख की अंतरिक हिस्से में होती है और इसमें आँख के शुरुआती रूप से सूक्ष्म बैक्टीरिया होते हैं। इससे आँख में जलन, लालिमा और आँख से पानी निकलने लगता है।
4. मोतियाबिंद
मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है जो आँख के लेंस अंदर फूल जाने से होती है। इससे आँख की दूरी दिखाई नहीं देती होती है जो शुरुआत में ढीले मस्सों जैसी तो लगता है पर इसके बाद लेंस अंदर फूलने से कमजोर हो जाती है।
5. ग्लूकोमा
ग्लूकोमा एक अमीच्यूर (अनुरेखिता) रोग होता है जो आँख के अंदरी हिस्से में से आने वाली नासिका में बढ़ती हुई रक्तसंचार के कारण होता है। इसके बाद आँख का दबाव बढ़ जाता है जिससे यह खतरनाक हो जाता है।
पैरों से संबंधित बीमारियां
दस्त का बढ़ना: दस्त एक ऐसी बीमारी है जो पैरों से शुरू होती है तथा इस बीमारी के कारण पेट में तकलीफ होती है। यदि आपको दस्त का बढ़ना होता है तो आपका रक्तचाप बढ़ सकता है। इस दर्दनाक बीमारी से बचने के लिए, हमेशा सभी खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह से पकाकर खाएं और बरताव से पानी पिएं।
लेग क्रैम्प: लेग क्रैम्प एक बीमारी है जो पैरों में तकलीफ पैदा करती है। यह बीमारी काफी आम होती है और ज्यादातर लोगों को यह होती है। लेग क्रैम्प के कारण आपका रक्तचाप अचानक बढ़ सकता है। यदि आप इस बीमारी से पीड़ित हों तो, अपने दबाएं के नियंत्रण में रखें और समय-समय पर आराम पूर्ण क्रियाएं करें।
दबाव वाली बीमारी: विशेष रूप से उम्रदराज लोगों में, खून की नलिकाओं में दबाव पैदा करने वाली बीमारी हो सकती है। इसमें से एक मध्यम रूप से सही रक्तचाप हो सकता है, लेकिन अधिक जनसाधारण तौर पर यह उच्च रक्तचाप का कारण बनती है। इस बीमारी के लक्षणों के मद्देनजर, अक्सर अच्छे आहार, व्यायाम, तंबाकू और शराब के सेवन से बचें।
- अधिक व्यायाम या विश्राम से बचें
- स्वस्थ आहार खाएं, जिसमें सोडियम की मात्रा कम हो।
- थकान को नजरअंदाज न करें।
- पानी की सही मात्रा लें।
अवसाद और तनाव से संबंधित बीमारियां
अवसाद एक मानसिक बीमारी है जो तनाव, निराशा और स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से होती है। इस बीमारी में व्यक्ति को उदास, असहज व अकेला महसूस करने लगता है।
अवसाद से जुड़ी बीमारियों में से टेंशन हेडेच एक बहुत ही सामान्य बीमारी है। इसके मुख्य कारण तनाव होता है। इसे ठीक से न ट्रीट करने से यह भी अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है जैसे कि माइग्रेन।
कुछ वायलेंट्री और साधारण अंग्रेजी दवाओं द्वारा प्रतिरोधात्मक संक्रमणों से निपटने के लिए उपयोग किए जाने वाले मस्तिष्क भेदक एंटीडिप्रेसेंट्स भी बीमारियों का कारण हो सकते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही इन दवाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- अवसाद
- टेंशन हेडेच
- अंतःस्रावी विकार
- अभाव विकार
- समस्याएं उत्पन्न होने पर जानिये क्या करे